Sunday, May 19, 2024
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नव वर्ष के लिए तैयार जवाहर घाट को है विकसित करने की दरकार,  मनोरम प्राकृतिक दृश्य से पर्यटक होते हैं आकर्षित

नौका विहार के लिए जलाशय की है व्यवस्था, पर सरकार को नहीं है इस पर ध्यान

  1. बरही लाइव : बरही

बरही चौक से मात्र 3 किमी दूर एन एच 31 के किनारे स्थित बरही का जवाहर घाट नव वर्ष में वनभोज के लिए पूरी तरह तैयार है। प्राकृतिक वादियों के बीच मनोरम छटा को समेटे यह जवाहर घाट की सुंदरता देखते ही बनती है। यही कारण है की एन एच 31 से होकर जाने वाले लोग एक बार रुक कर जवाहर घाट की मनोरम वादियों का दीदार जरूर करते हैं।  जवाहर घाट तिलैया डैम के जलाशय के किनारे ही स्थित है। यह  तीन ओर जलाशय  के बीच टापू की तरह स्थित  होने के कारण सैलानियों एवं पर्यटकों के लिए यह स्थल पहली पसंद बनती जा रही है।  इसी जवाहर घाट परिसर में फॉरेस्ट गेस्ट हाउस भी है। जो पर्यटकों को ठहरने के लिए बनाया गया है। जो पर्यटकों को काफी भाता है। ज्ञात हो की देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम पर ही जवाहर घाट रखा गया है। उनके द्वारा ही जवाहर पूल भी बनाया गया है। जो उनकी याद दिलाता है।  जवाहर घाट में एक साथ नदी,  पूल एवं रेलवे पुल भी इसकी सुंदरता को बढ़ाता है।

नव वर्ष के पहले एवं बाद में लगती है पर्यटकों का जमावड़ा:  नव वर्ष के आगमन के पहले दिसंबर माह में एवं नव वर्ष के बाद जनवरी माह में हर रोज दूर दूर से लोग यहां पिकनिक मनाने के आते हैं। सबसे खासियत है की जवाहर घाट बिल्कुल पूरी तरह सुरक्षित है। साथ ही तिलैया डैम एवं बराकर नदी के किनारे स्थित होने  तथा लकड़ी एवं पानी उपलब्धता के कारण लोग अपने परिवारजनों के साथ पिकनिक मनाने पहुंचते हैं। गीत संगीत का भी आनंद लेते हैं।

जलाशय होने के बाद नौका विहार से वाचित रहते हैं पर्यटक: जवाहर घाट के चारो ओर बराकर नदी का जलाशय  है। नौका विहार के लिए सबसे अच्छा स्थान है। लेकिन इसे पर्यटन विभाग की ओर से विकसित नही किया गया है। जिसके कारण पर्यटक नौका विहार की सुविधा से वंचित हैं। यदि इसे नौका विहार के लिए विकसित किया जाता तो पर्यटकों की संख्या सालोभर रहती। स्थानीय लोगों को रोजगार मिल पाता है। सरकार को राजस्व की भी प्राप्ति होती ।

पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित करने की हुई थी पहल लेकिन नही हो सका पूरा:  तत्कालीन विधायक मनोज कुमार यादव के द्वारा 2017 में पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने को लेकर डीपीआर तैयार कराई गई थी। विभाग की ओर से मापी भी की गई थी। लगभग दो करोड़ की लागत से पूरी प्रोजेक्ट तैयार भी किया गया था। लेकिन उसके बाद धरातल पर कोई कार्य नहीं हुआ। पूर्व विधायक मनोज कुमार यादव की निजी सचिव भूपेन्द्र यादव ने बताया की  2017 में सारी प्रक्रिया कराई गई थी। लेकिन उसके बाद जब हमलोग चुनाव हार गए। तब सब काम ब्रेक हो गया। नही तो जवाहर घाट में सभी संसाधन उपलब्ध रहता ।

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