Saturday, April 27, 2024
HomeUncategorizedएनएचएआई चुटुपालु घाटी की तकनीकी खामी को दूर करे : संजय मेहता

एनएचएआई चुटुपालु घाटी की तकनीकी खामी को दूर करे : संजय मेहता

बरही लाइव: संवादाता

चुटुपालू घाटी में दुर्घटना के लिए एनएचएआई जिम्मेवार नहीं : परियोजना निदेशक

एनएच 33 के चुटुपालू घाटी में लगातार हो रही दुर्घटनाओं को लेकर संजय मेहता ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से इस पर तत्काल पहल करने का अनुरोध किया है।

संजय मेहता ने बताया कि चुटुपालु घाटी की दुर्घटनाओं को लेकर एनएचएआई से कई बार पत्राचार किया। बावजूद इसके कोई ठोस पहल नहीं की गयी। संजय मेहता को एनएचएआई ने चुटुपालु घाटी की दुर्घटनाओं को लेकर एक पत्र भेजा है। जो काफी चौंकाने वाला है।एनएचएआई ने पत्र में साफ तौर पर लिखा है कि चुटुपालु घाटी की दुर्घटनाओं के लिए एनएचएआई को जिम्मेदार मान लेना उचित नहीं है।

*क्या लिखा है एनएचएआई के जवाब में*

एनएचएआई ने जवाब दिया है कि चुटूपालू घाटी खंड एन0एच0-33 के पहाड़ी भू-भाग पर स्थित खंड है जिसके दोनों ओर वन भूमि अवस्थित है। इस कारण से चुटुपालू घाटी मे सडक निर्माण पहाड़ी भू-भाग के आधार पर डिजाइन की गई है। इस खंड मे संरेखन की रुपरेखा जिस प्रकार तैयार की गई है उसमें वाहनों द्वारा डिजाइन गति का अनुसरण करना अनिवार्य है।

सड़क निर्माण से पूर्व इसकी संरचना (डिजाइन) को लेकर अनेकों प्रकार की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। साथ ही सडक निर्माण से जुड़े कुशल असैनिक अभियंता (डिजाइनर ) द्वारा इसकी प्राक्कलन और डिजाइन तैयार की जाती है एवं भारतीय रोड कांग्रेस (IRC) मानको में दिए गए दिशा निर्देशों का अनुपालन किया जाता है।

उक्त खंड के रामगढ़ स्थित पटेल चौक से लेकर चुटुपालू घाटी की लगभग 5.50 कि०मी० की पहाड़ी भू-भाग के अंतर्गत आने के कारण इसका डिजाइन भी पहाड़ी भू-भाग हेतु निर्धारित मानक के अनुरूप ही किया गया है।

कोई भी वाहन जैसे ही समतल भू-भाग से पहाड़ी भूभाग में आती है वहाँ वाहनों की गति सीमा बदल जाती है। तात्पर्य यह है कि पहाड़ी भू-भाग (चुटुपालू घाटी) से गुजरने वाली वाहनो को डिजाइन के अनुरूप निर्धारित गति सीमा अर्थात 40.00 कि0 मी० प्रति घंटा की गति के तहत ही गुजारनी होगी अन्यथा इसका परिणाम दुर्घटना का कारण बन सकती है।

परन्तु वाहनों द्वारा गति सीमा का प्रायः उल्लंघन किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप दुर्घटनाएं होती है।

राष्ट्रीय राजमार्ग-33 के कि0मी0 (41.500 से 115.00) के बीच सडक और परिवहन मंत्रालय ने तीन स्थान, यथा चुटुपालू, पटेल चौक और कोठार पुल को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिन्हित कर चुका है और उक्त के मद्देनजर एनएचएआई ने इसका उन्मूलन कार्य भी तत्पर्तापूर्वक पूरा किया है और कर रहा है।

पटेल चौक पर तीस करोड़ की लागत से VUP का निर्माण कर होने वाली दुर्घटना को पूरी तरह नियंत्रित किया जा चुका है। ठीक वैसे ही कोठार पुल पर भी ब्लैकस्पॉट को दूर करने हेतु निर्माण कार्य प्रगति पर है। सुधार कार्य के रूप में एनएचआई ने समय-समय पर चुटुपालू घाटी खंड में भी अनेकों अल्पकालिक सुरक्षा व्यवस्था को लागू किया है। इसके अलावे उपायुक्त, महोदय द्वारा आहूत सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में लिए गए निर्णय या दिए गए सुझाव के आलोक में सभी उपाय अमल में लाया गया है। भाराराप्रा द्वारा सड़क सुरक्षा के अन्तर्गत जिला प्रशासन से मिलने वाले सभी निर्देशों का पालन किया गया है।

चुटूपालू घाटी में निरन्तर दुर्घटनाओं का एनएचएआई को जिम्मेदार मान लेना उचित नहीं है।

क्या कहते हैं संजय मेहताए:   नएचएआई के जवाब को लेकर संजय मेहता ने कहा की यदि सड़क निर्माण में तकनीकी खराबी को लेकर लगातार दुर्घटना हो रही है तो इसके लिए सीधे तौर पर एनएचएआई जिम्मेवार है। एनएचएआई तत्काल इस खामी को दूर करे। क्योंकि अब अधिकारिक एवं अन्य आँकड़ो को मिलाकर यहाँ तीन हज़ार से अधिक मौत हो चुकी है। संजय मेहता ने कहा कि यदि एनएच इस खामी को दूर नहीं करेगा तो इसको लेकर केंद्रीय मंत्रालय में शिकायत दर्ज कराएंगे।

RELATED ARTICLES

Most Popular